नसीब वालों को ही मिलती है '2 June ki Roti', जानें क्या है खास


By Mahima Sharan02, Jun 2023 01:11 PMjagranjosh.com

दो जून की रोटी

आपने अक्सर लोगों के मुंह से दो जून की रोटी के बारे में सुना होगा कोई इसे मजाक में कहता है तो कोई इसे गंभीरता से, लेकिन क्या आप इसका मतलब जानते हैं?

पॉपुलर मीम्स

जून मीम्स में भी काफी पॉपुलर है, सोशल मीडिया पर लोग इससे जुड़े फनी पोस्ट भी शेयर करते हैं तो आज हम जानते हैं कि आखिरकार 'दो जून की रोटी' का मतलब क्या होता है।

क्या है मतलब

जिस 'जून' को हम एक महीने के रूप में जानते हैं, उसे अवधी भाषा में 'वक्त' के नाम से जाना जाता है तो दो जून की रोटी का मतलब दो वक्त की रोटी है यानी सुबह और शाम का खाना।

दो वक्त का खाना

जब किसी को दोनों वक्त का खाना मिल जाए तो उसे दो जून की रोटी खाना कहते हैं और जिसे न मिले उसके लिए कहते हैं कि उसे दो जून की रोटी भी नहीं मिल रही है।

इतिहासकार

बड़े-बड़े इतिहासकारों ने अपने लेखों में 2 जून की रोटी का उल्लेख किया है प्रेमचंद से लेकर जयशंकर प्रसाद तक ने इस कहावत को अपनी कहानियों में शामिल किया।

महंगाई

महंगाई के दौर में भी अमीर भूख से ज्यादा खा लेते हैं, लेकिन गरीबों को दो वक्त की रोटी तक नसीब नहीं होती है और कई बार तो उन्हें भूखे पेट सोना पड़ता है।

उम्र पुरानी कहावत

कुछ लोग कहते हैं कि जून का महीना सबसे गर्म होता है जो कि किसानों और गरीब लोगों के लिए कई कठिन दिन होते हैं जब वे पूरा दिन थक-हार कर काम करते हैं तभी उन्हे रोटी मिलती है।

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